Dr Amit Kumar Sharma

लेखक -डा० अमित कुमार शर्मा
समाजशास्त्र विभाग, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली - 110067

महात्मा गांधी का हिन्द स्वराज

हिन्द स्वराज की प्रासंगिकता

 


महात्मा गांधी का हिन्द स्वराज

गुलाम भारत में संप्रभुता एवं स्वावलंबन के सूत्रो की खोज

खण्ड-ग
भारतीय सभ्यता के सूत्र 
अंश आ
अंग्रेजी राज में हिन्दुस्तान की दशा   
अंग्रेजी राज में भारतीय वकील एवं जज

 

हिन्द स्वराज के ग्यारहवें अधयाय में वे तत्कालीन हिन्दुस्तानी समाज में वकीलों, जजों और आधुनिक न्यायालयों के द्वारा ब्रिटिश राज के संवर्धन की समालोचना करते हैं। तत्कालीन हिन्दुस्तानी समाज के बारे में गांधीजी की सातवीं चिंता भारतीय समाज में वकीलों के बढ़ते महत्तव को लेकर है। उनकी राय में वकीलों ने हिन्दुस्तान को गुलाम बनाने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभायी है। वकीलों ने हिन्दू-मुसलमानों के झगड़े बढ़ाये हैं और अंग्रेजी हुकूमत को यहाँ मजबूत किया है। उनका धंधा उन्हें अनीति सिखाने वाला है। वे आम हिन्दुस्तानियों को बुरे लालच में फंसाते हैं, जिसमें से उबरने वाले बिरले ही होते हैं। वकील लोग आमतौर पर झगड़ा आगे बढ़ाने की ही सलाह देते हैं। उनके लिए झगड़ा का मुकदमा कमाई का एक रास्ता है। आलसी लोग ऐशो-आराम करने के लिए वकील बनते हैं। वकीलों के कारण अंग्रेजों का प्रभाव आम हिन्दुस्तानियों पर मजबूत हुआ है। अंग्रेजी अदालतों के जरिये हम पर अंकुश जमाया गया। हिन्दुस्तानी जज और हिन्दुस्तानी वकील के बगैर उनका काम नहीं चल सकता था। अंग्रेजी सत्ता की एक मुख्य कुंजी उनकी अदालतें रही हैं और अदालतों की कुंजी वकील हैं। अगर वकील वकालत करना छोड़ दे और वकीलों का पेशा वेश्या के पेशे जैसा नीच माना जाय तो अंग्रेजी राज एक दिन में टूट जाय। वकील और जज दोनों मौसेरे भाई हैं और एक दूसरे को बल देने वाले हैं। अंग्रेजों के आने से पहले लोग खुद मार-पीट करके या रिश्तेदारों को पंच बनाकर अपना झगड़ा निबटा लेते थे। तब हिन्दुस्तानी लोग बहादुर थे। अदालतें आयीं और वे कायर बन गये। अब वे वकील के पास जाने लगे। मुवक्किल के ख्याल में भी न हों ऐसी दलीलें मुवक्किल की ओर से ढूंढ़ना वकीलों का काम है।

इतने बड़े भू-भाग और इतनी जनसंख्या वाले महादेशनुमा हिन्दुस्तानी सभ्यता पर राज करना अकेले अंग्रेजों के बूते की बात नहीं थी। इस काम में इसी देश के कुछ वर्गों ने उनके सहयोगी की भूमिका अदा की। उनके सहयोगियों में जमींदार वर्ग, पढ़े-लिखे समाज सुधारक, वकील, डाक्टर, सरकारी कर्मचारी एवं अधिाकारी एवं अंग्रेजी राज की सेना में काम करने वाले लोग भी थे। इनमें भारतीय वकीलो एवं जजों का सहयोग अंग्रेजों के लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ। वकीलों एवं जजों के सहयोग से इस देश के पारंपरिक रीति-रिवाजों, धार्मिक कानूनों एवं उत्ताराधिाकार तथा स्वामित्व के हिन्दुस्तानी कानूनों का अंग्रेजी राज के हित साधान के लिए संग्रह, संपादन, परिवर्तन किया गया और इनकी वह कानूनी स्थिति बना दी गई कि लोग चाहकर भी इनको अपने व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन के नियमन एवं संचालन का आधार नहीं बना सके। पंचायत जैसी देशी संस्थाओं को कानूनी रूप से पंगु और अप्रभावी बना दिया गया। राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक अंग्रेजी कानूनों को प्रभावी बना दिया गया। यदि भारतीय भाषा, भारतीय रीति-रिवाज एवं भारतीय लोगों के मनोविज्ञान समझने वाले भारतीय वकील और जज नहीं होते तो अंग्रेजी बोलने और समझने वाले भारतीय परिस्थिति और भारतीय भाषाओं से अनजान अंग्रेज वकील और जज कितना प्रभावी और कितना कारगर हो पाते? खुद एक प्रशिक्षित (वह भी इंग्लैंड में) और अनुभवी वकील होने के कारण गांधीजी जानते थे कि बिना भारतीय वकीलों की मदद के न वे अब तक प्रभावी होते और न आगे प्रभावी हो पायेंगे। अत: इस अधयाय में वे भारतीय वकीलों के सुप्त राष्ट्रवाद को जगाकर उन्हें अंग्रेजों से असहयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं।

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